सुस्ती भरे जिस्म को जगाते क्यों नहीं
उठकर सबेरे नहाते क्यों नहीं
मैसेज भी तुम्हारा गंद मारता है
नहाकर फिर परफ्यूम लगाते क्यों नहीं
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सुस्ती भरे जिस्म को जगाते क्यों नहीं
उठकर सबेरे नहाते क्यों नहीं
मैसेज भी तुम्हारा गंद मारता है
नहाकर फिर परफ्यूम लगाते क्यों नहीं
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