कितने खड़े हैं पैरें अपना दिखा के सीना; सीना चमक रहा है हीरे का ज्यूँ नगीना; आधे बदन पे है पानी आधे पे है पसीना; सर्वों का बह गोया कि इक करीना।
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कितने खड़े हैं पैरें अपना दिखा के सीना; सीना चमक रहा है हीरे का ज्यूँ नगीना; आधे बदन पे है पानी आधे पे है पसीना; सर्वों का बह गोया कि इक करीना।
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