वो खिलते हुए गुलाब सा है कि उस का किरदार आब सा है; कोई मुस्सवर जो देखे उस को यही कहे लाजवाब सा है; हया की ज़िंदा मिसाल है वो मगर यह कमबख्त पर्दा देखो; देखने से रोकता है इस हुस्न को चेहरे पर यह जो नक़ाब सा है।

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