चाह रखने वाले मंज़िलों को ताकते नहीं; बढ़ कर थाम लिया करते हैं; जिनके हाथों में हो वक़्त की कलम; अपनी किस्मत वो खुद लिखा करते हैं।
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चाह रखने वाले मंज़िलों को ताकते नहीं; बढ़ कर थाम लिया करते हैं; जिनके हाथों में हो वक़्त की कलम; अपनी किस्मत वो खुद लिखा करते हैं।
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