जिंदगी की कश्ती कब लगे कौन से किनारे; कब मिलेंगी मनचली बहारें; जीना तो पड़ेगा ही कैसे भी प्यारे; कभी दोस्तों की भीड़ में कभी तन्हाई के सहारे।
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जिंदगी की कश्ती कब लगे कौन से किनारे; कब मिलेंगी मनचली बहारें; जीना तो पड़ेगा ही कैसे भी प्यारे; कभी दोस्तों की भीड़ में कभी तन्हाई के सहारे।
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