महल तेरी उम्मीद का ढहने नहीं दिया; ग़म ज़ुदा हूँ मैं किसी को कहने नहीं दिया; ना हो यकीं तो पूछ लो इन आँखों से; एक आंसू भी आँखों से बहने नहीं दिया।
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महल तेरी उम्मीद का ढहने नहीं दिया; ग़म ज़ुदा हूँ मैं किसी को कहने नहीं दिया; ना हो यकीं तो पूछ लो इन आँखों से; एक आंसू भी आँखों से बहने नहीं दिया।
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