अब भी ताज़ा हैं जख्म सीने में; बिन तेरे क्या रखा हैं जीने में; हम तो जिंदा हैं तेरा साथ पाने को; वर्ना देर कितनी लगती हैं जहर पीने में।
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अब भी ताज़ा हैं जख्म सीने में; बिन तेरे क्या रखा हैं जीने में; हम तो जिंदा हैं तेरा साथ पाने को; वर्ना देर कितनी लगती हैं जहर पीने में।
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