आशिकी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब; दिल का क्या रंग करूँ खून-ए-जिगर होने तक; हम ने माना के तगाफुल ना करोगे लेकिन ; ख़ाक हो जायेंगे हम तुम को खबर होने तक!
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आशिकी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब; दिल का क्या रंग करूँ खून-ए-जिगर होने तक; हम ने माना के तगाफुल ना करोगे लेकिन ; ख़ाक हो जायेंगे हम तुम को खबर होने तक!
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