इस कदर इस जहाँ में जिंदा हूँ मैं; हो गयी थी भूल अब शर्मिंदा हूँ मैं; मेरी कोशिश है कि ना हो तेरी दुनिया में कोई गम; तू आवाज़ दे गगन से एक परिंदा हूँ मैं।
Like (0) Dislike (0)
इस कदर इस जहाँ में जिंदा हूँ मैं; हो गयी थी भूल अब शर्मिंदा हूँ मैं; मेरी कोशिश है कि ना हो तेरी दुनिया में कोई गम; तू आवाज़ दे गगन से एक परिंदा हूँ मैं।
Your Comment