ज़माने भर की निगाहों में जो खुदा सा लगे; वो अजनबी है मगर मुझ को आशना सा लगे; न जाने कब मेरी दुनिया में मुस्कुराएगा; वो शख्स जो ख्वाबों में भी खफा सा लगे।
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ज़माने भर की निगाहों में जो खुदा सा लगे; वो अजनबी है मगर मुझ को आशना सा लगे; न जाने कब मेरी दुनिया में मुस्कुराएगा; वो शख्स जो ख्वाबों में भी खफा सा लगे।
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