गुलशन को कर रही है मोत्तार ये हवायें; आता नहीं नज़र कुछ भी अब उसके सिवाये; करते हैं दुआ उस परवरदिगार से; बख्श दे वो हमारे गुनाह इस महे रमजान में। रमज़ान मुबारक
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गुलशन को कर रही है मोत्तार ये हवायें; आता नहीं नज़र कुछ भी अब उसके सिवाये; करते हैं दुआ उस परवरदिगार से; बख्श दे वो हमारे गुनाह इस महे रमजान में। रमज़ान मुबारक
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