बरसेगा इंसान पे आज अल्लाह का नूर इस कदर; होता है समुन्दर में पानी जिस कदर; अगर इबादत में रहे मशरूफ आज हम; आज चमकेगा ज़रूर हमारा मुक़द्दर; करेगा जो इबादत अगर आज शाम-ओ-सहर; अल्लाह की रहमत-ए-नजर होगी उस पर। रमदान मुबारक!

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