होंठों पे न कभी कोई शिकवा चाहिए; बस निगाह-ए-करम और दुआ चाहिए; चाँद तारों की तमन्ना नहीं मुझको; आप रहें सलामत खुदा से यही खैरात चाहिए। रमजान मुबारक
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होंठों पे न कभी कोई शिकवा चाहिए; बस निगाह-ए-करम और दुआ चाहिए; चाँद तारों की तमन्ना नहीं मुझको; आप रहें सलामत खुदा से यही खैरात चाहिए। रमजान मुबारक
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