ए खुदा मोहूबत भी तूने अजीब चीज बनाए है
तेरे ही बन्दे तेरी मस्जिद में तेरे ही सामने रोते है
लेकिन तुजे नहीं किसी और को पानेके लिये
ए खुदा मोहूबत भी तूने अजीब चीज बनाए है
तेरे ही बन्दे तेरी मस्जिद में तेरे ही सामने रोते है
लेकिन तुजे नहीं किसी और को पानेके लिये
झुकी हुई नज़रों से इज़हार कर गया कोई
हमें खुद से बे-खबर कर गया कोई
युँ तो होंठों से कहा कुछ भी नहीं
आँखों से लफ्ज़ बयां कर गया कोई
दिन को प्रेम से प्रारंभ करो दिन को प्रेम से भरो दिन को प्रेम से बिताओ दिन को प्रेम से समाप्त करो- यही परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग है।
कशिश होनी चाहिए किसी को याद करने की
लम्हे तो अपने आप मिल जायेंगे
वक़्त होना चाहिए किसी को मिलने का
बहाने तो अपने आप मिल जायेंगे
निकला था घर से खुदखुशी का इरादा करके,
जब उन्हे मालूम हुआ तो दौड कर आऐ,
जो आते ना थे कभी वादे मुताबिक,
वो सब रसमे सब कसमें तोड़ के आऐ..
हा मेरा हर लम्हा चुरा लिया आपने आँखों को एक नया चाँद दिखा दिया आपने
हमें ज़िन्दगी दी किसी और ने पर इतना प्यार देकर जीना सिखाया आपने
दामाद उम्र में छोटा होता है फिरभी ससुराल मे सभी उसे आप कहके बुलाते है
क्योंकि हमारे देश मे शहीदों का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है
महोब्बत की शम्मा जला कर तो देखो
जरा दिल की दुनियाँ सजा कर तो देखो
तुम्हे हो ना जाऐ महोब्बत तो कहना
जरा हमसे नजरें मिलाकर तो देखो
महोब्बत की शम्मा जला कर तो देखो
जरा दिल की दुनियाँ सजा कर तो देखो
तुम्हे हो ना जाऐ महोब्बत तो कहना
जरा हमसे नजरें मिलाकर तो देखो
ये याद है तुम्हारी या यादों में तुम हो
ये खवाब है तुमारा या खवाबों मैं तुम हो
हम नहीं जानते तुम जान हो हमारी या हमारी जान मैं तुम हो
प्रेमी ने अपनी प्रेमिका के फ़ोन पर मिस कॉल की यह देखने के लिये की उसने उसका नंबर किस नाम से सेव किया है! स्क्रीन पर नाम आया मुर्गा नंबर 5!
मेरी भावनाओ से जुड़े हुए है आपके तार आपसे मिलने को हम है कितने बेकरार
आँखों में नींद है ना दिल को करार जल्दी से भेजो मुझे अपना समाचार
पास होते तो अपने पास बिठाती तुमको
रख के दिल पे हाथ धडकन सुनाती तुमको
और जो तुम सकुन की आरजू करते
रखते सिर गोद में और सुलाती तुमको
ख्याल में आता है जब उसका चेहरा
तो लबों पे अक्सर फ़रियाद आती है
हम भूल जाते हैं उसके सारे सितम
जब उसकी थोड़ी सी मुहब्बत याद आती है
क्यों किसी से इतना प्यार हो जाता है; एक पल का इंतज़ार भी दुश्वार हो जाता है; लगने लगते हैं अपने भी पराये; और एक अजनबी पर ऐतबार हो जाता है।