कैसे करुं मैं तेरी यादों की गिनती
कोई सांसों का हिसाब रखता है भला
कैसे करुं मैं तेरी यादों की गिनती
कोई सांसों का हिसाब रखता है भला
सारे ताबीज गले में पहन कर देख लिए
आराम तो बस तेरे दीदार से ही मिला !!!
इतनी क्या जल्दी है मुझे छोड़ने की
अभी तो हद बाकी है मुझे तोड़ने की
जब मोहब्बत हो ना किसी को तो याद रखना
शुरुवात झूठे वादों से होती है
प्रेम तब तक सिर्फ एक शब्द भर है
जब तक आप इसका
अहसास नहीं कर लेते।
ख्वाइशों से भरा पड़ा है घर इस कदर
रिश्ते ज़रा सी जगह को तरसतें हैं
चाँदनी की चमक से मुझे कोई गरज नही
एक चाँद को दिल में अकसर देखता हूँ
मांग लूँ यह मन्नत की फिर वही जहाँ मिले, फिर वही गोद, फिर वही माँ मिले...
तमाम लोग मेरे साथ थे मगर मैं तो....
तमाम उम्र तुम्हारी कमी के साथ रहा....
तोड़ कर देख लिया आईना-ए-दिल तूने
तेरी सूरत के सिवा और बता क्या निकला
कहने को तो वो सबको मिला देता है
इस बार खुदा को भी ना हमें मिलाना आया
जुकी जुकी नजर तेरी कमाल कर जाती हे
उठती हे एक बार तो सवाल कर जाती हे
एक नींद है जो रात भर नहीं आती,
और एक नसीब है, जो ना जाने कब से सो रहा है..
युं ही हम दील को साफ रखा करते थे
पता नही था की किमत चेहरो की होती हैँ
अपना इनाम लेकर ही मानेगा
ये इश्क है जान लेकर ही मानेगा
राधे राधे