काश कोई एग्जाम रिजल्ट का इंश्योरेंस करवा देते; तो हर एग्जाम से पहले प्रीमियम भरवा देते; अगर पास होते तो ठीक; वरना इंश्योरेंस का भी क्लेम करवा लेते।

हर तरफ पढ़ाई का साया है; हर पेपर में जीरो आया है; हम तो यूँ ही चले जाते हैं बिना मुँह धोए परीक्षा देने; और लोग कहते हैं साला रात भर पढ़ के आया है।

एक विद्यार्थी दुसरे से: आज कुछ खतरनाक काम करने का मन कर रहा है। दूसरा विद्यार्थी: तो फिर चलो थोड़ी पढ़ाई करते हैं।

अर्ज़ किया है: ये परीक्षा से रिश्ता भी अजीब होता है; सब अपना-अपना नसीब होता है; रह जाता है निगाहों से जो दूर; साला वही सवाल पेपर में ज़रूर होता है।

हर सवाल से डट कर लड़ना; फैंकने में कमी मत करना; मौक़ा मिले तो पीछे भी देखना; और एक बात याद रखना; आगे वाले का पेपर भी अपने ही समझना।

रात को किताब मेरी मुझे देखती रही; नींद मुझे अपनी तरफ घसीटती रही; नींद का झोंका मेरा मन मोह गया; और एक रात फिर ये GENIUS बिना पढ़े सो गया।

लेक्चर में मस्ती थी; हमारी भी कुछ हस्ती थी; टीचर का सहारा था दिल ये आवारा था; कहाँ आ गए इस डिग्री की आफ़त में यार; वो स्कूल ही कितना प्यारा था।

जब question पेपर हो आउट ऑफ़ कंट्रोल; आंसर शीट को करके फोल्ड; एयरोप्लेन बना के बोल; भैया आल इज़ फेल।

निगाहें आज भी उस शख्स को शिद्दत से तलाश करती हैं; जिसने कहा था बस दसवी कर लो आगे पढ़ाई आसान है ।

किसी की धड़कन तेज़ करने के लिए प्यार की ज़रुरत नहीं बस इतना ही कह दो कि . . . . . . . . . भाई तेरा रिजल्ट आ गया है। चेक कर ले!

समंदर भर सिलेबस होता है; नदी भर पढ़ पाते हैं; बाल्टी भर याद रहता है; चुल्लू भर नंबर आते हैं; जिसमें हम डूब जाते हैं।

पढ़ाई सिर्फ दो वजह से होती है? एक शौक से; और दूसरा खौफ़ से। फालतू के शौक हम रखते नहीं; और खौफ़ तो हमें किसी के बाप का भी नहीं।

बचपन से मैं सुन रहा हूँ कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं। अगर हाँ तो उनके लिए इतने कम मंदिर हैं जबकि स्कूल ज्यादा क्यों?

अगर हम एक बार जीते हैं; एक ही बार मरते हैं; प्यार भी एक बार करते हैं; शादी भी एक बार करते हैं तो फिर ये... . . . . . . एग्जाम बार-बार क्यों होते हैं।

निकले जो दुनिया की भीड़ में तो ग़ालिब ये जाना है; निकले जो दुनिया की भीड़ में तो ग़ालिब ये जाना है; . . . . . . वो शख्स उदास है जिसे मंगलवार स्कूल जाना है।