जान पहचान होते ही लड़को को लड़की को WhatsApp पर Add करने की इतनी जल्दी होती है
मानों होने वाली बीवी का राशनकार्ड में नाम चढ़वाना हो
जान पहचान होते ही लड़को को लड़की को WhatsApp पर Add करने की इतनी जल्दी होती है
मानों होने वाली बीवी का राशनकार्ड में नाम चढ़वाना हो
पी लेंगे तुम्हारा हर एक आंसू; कभी अपनी महफ़िल में बैठाकर तो देखो; भाभी कहोगे तुम अपनी गर्लफ्रेंड को; कभी हमसे मिलाकर तो देखो!
वो बोली मेरे पीछे आना छोड दे
मेरे भाईयो के पास हथियार बहोत है
मेने बोला तू भि ये वहम छोड दे पगली
तेरे यार के यार भि बहोत है
जब देखा उन्होंने तिरछी नज़र से; कसम खुदा की मदहोश हो गए हम; पर जब पता चला कि नज़र स्थायी तिरछी है; तो वहीँ खड़े-खड़े बेहोश हो गए हम।
भूल गए या भुलाना चाहते हो; दूर कर दिया या करना चाहते हो; अजमा लिया या अजमाना चाहते हो; मेसेज कर रहे हो या अभी और पैसे बचाना चाहते हो?
गिले शिकवे दिल से न लगा लेना; कभी रूठ जाऊं तो मना लेना; कल का क्या पता हम हो न हो; इसलिए जब भी मिलूं; कभी समोसा और कभी पानी पूरी खिला देना।
जब तू होती थी मेरी ज़िन्दगी में तो तेरे मेरे इश्क के चर्चे बहुत थे; अच्छा ही हुआ ज़िन्दगी से चली गयी तू क्योंकि तेरे खर्चे ही बहुत थे!
लोग इश्क करते हैं बड़े शोर के साथ; हमने भी किया बड़े जोर के साथ; लेकिन अब करेंगे थोड़ा गौर के साथ; क्योंकि कल उसे देखा है किसी और के साथ।
अय दोस्त मत कर इन हसीनाओं से मोहब्बत; वह आँखों और बातों से वार करती हैं; मैंने तेरी वाली की आँखों में देखा है; वो मुझसे भी प्यार करती है।
हकीकत समझो या फसाना; अपना समझो या बेगाना; हमारा आपका है रिश्ता पुराना; इसलिये फर्ज था आपको बताना; ठंड शुरू हो गयी है; कृपया रोज मत नहाना!
आशिक पागल हो जाते हैं प्यार में; बाकी कसर पूरी हो जाती है इंतज़ार में; मगर ये दिलरुबा नहीं समझती; वो तो पानी-पूरी खाती फिरती है बाजार में!
उसने हाथों पर मेहंदी लगा रखी थी; हमने भी अपनी बारात सजा रखी थी; क्यूंकि हमें मालूम था वो बेवफा निकलेगी; इसलिए हमने भी उसकी सहेली पटा रखी थी!
होठों को छुआ उसने तो एहसास अब तक है; आंखे नम हुई तो सांसो में आग अब तक है; वक़्त गुजर गया पर उसकी याद नही गई; क्या कहूं हरी मिर्च का स्वाद अब तक है!
हम भी जान-ए-मन तेरे लिए ताजमहल बनायेंगे; अर्ज़ किया है; हम भी जान-ए-मन तेरे लिए ताजमहल बनायेंगे; एक कप सुबह पिलायेंगे और एक कप शाम को पिलायेंगे!
आंसू टपक पड़े बेरोजगार के उस एहसास पर ग़ालिब; कि आंसू टपक पड़े बेरोजगार के उस एहसास पर ग़ालिब; जब माँ ने कहा; बेटा खाली बैठा है जा मटर ही छील ले।