इस कदर इस जहाँ में जिंदा हूँ मैं;
हो गयी थी भूल अब शर्मिंदा हूँ मैं;
मेरी कोशिश है कि ना हो तेरी दुनिया में कोई गम;
तू आवाज़ दे गगन से एक परिंदा हूँ मैं।
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इस कदर इस जहाँ में जिंदा हूँ मैं;
हो गयी थी भूल अब शर्मिंदा हूँ मैं;
मेरी कोशिश है कि ना हो तेरी दुनिया में कोई गम;
तू आवाज़ दे गगन से एक परिंदा हूँ मैं।
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