कैसे बताये आज हमें क्यूँ साथी वो पुराना याद आया
बीते मौसम को सजाने ... आज फ़िर वोह फ़साना याद आया
गुलशन की बहारों मैं,
रंगीन नज़ारों मैं,
जब तुम मुझे ढूंढोगे,
आँखों मैं नमी होगी,
महसूस तुम्हें हर दम,
फिर मेरी कमी होगी......
आकाश पे जब तारे,
संगीत सुनाए गे,
बीते हुए लम्हों को,
आँखों मैं सजाओगे,
तन्हाई के शोलों मे,
जब आग लगी होगी
महसूस तुम्हे हर दम
फिर मेरी कमी होगी,
सावन की घटाओं का
जब शोर सुनोगे तुम,
बिखरे हुए माज़ी के
राग चुनोगे तुम
माहॉल के चेहरे पर
जब धूल जमी होगी
महसूस तुम्हे हर दम
फिर मेरी कमी होगी
जब नाम मेरा लोगे
तुम कांप रहे होगे
आंशूं भरे दामन से
मुँह ढांप रहे होगे
रंगीन घटाओं की
जब शाम घनी होगी
महसूस तुम्हें हर दम
फिर मेरी कमी होगी..............
क्या ख़बर तुम को दोस्ती क्या है
ये रोशनी भी है अंधेरा भी है
ख़्वाहीसों से भरा जज़ीरा भी है
बहुत अनमोल एक हीरा भी है
दोस्ती यूँ तौ माया जाल भी है
इक हक़ीक़त भी है ख़याल भी है
कभी शाम तो कभी सुबह भी है
कभी ज़मीन कभी आसमान भी है
दोस्ती झूठ भी है सच भी है
दिल मैं रह जाए तो कसक भी है
कभी ये जीत कभी हार भी है
दोस्ती साज़ भी है संगीत भी है
शेर, नज़म ओर गीत भी है
वफ़ा क्या है वफ़ा भी दोस्ती ही है
दिल से निकली हैर दुआ भी दोस्ती ही है
बस इतना समझ ले तू प्यार की इंतहा भी दोस्ती ही है

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