स्वर्ग का सपना छोड़ दो,
नरक का डर छोड़ दो,
कौन जाने क्या पाप, क्या पुण्य,
बस किसी का दिल न दुखे अपने स्वार्थ के लिए,
बाक़ी सब कुदरत पर छोड़ दो।
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स्वर्ग का सपना छोड़ दो,
नरक का डर छोड़ दो,
कौन जाने क्या पाप, क्या पुण्य,
बस किसी का दिल न दुखे अपने स्वार्थ के लिए,
बाक़ी सब कुदरत पर छोड़ दो।
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