तकदीर हमने ऐसी अपनी खुद बनाई की
बेवफाओं को भी वफा सिखाई
गुमान या शिकवा नहीं
किसी बात का ऐ गालिब
हमने उनसे प्यार किया तो
उन्होने भी हमसे दुनियाँदारी निभाई
तकदीर हमने ऐसी अपनी खुद बनाई की
बेवफाओं को भी वफा सिखाई
गुमान या शिकवा नहीं
किसी बात का ऐ गालिब
हमने उनसे प्यार किया तो
उन्होने भी हमसे दुनियाँदारी निभाई
आपको मिस करना रोज़ की बात हो गई
आपको याद करना आदत की बात हो गई
आपसे दूर रहना किस्मत की बात हो गई
मगर इतना समझ ऐ मेरे प्यारे अजीज की
आपको भूलना अपने बस से बहार की बात हो गई
मोहबत को जो निभाते हैं उनको मेरा सलाम है
और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं उनको हुमारा ये पेघाम हैं
वादा-ए-वफ़ा करो तो फिर खुद को फ़ना करो
वरना खुदा के लिए किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो
वफा के वादे वो सारे भूला गया चुप-चाप...
वो मेरे दिल की दिवारें हिला गया चुप-चाप...
ना जाने कौन सा वो बद-नसीब लम्हा था,
जो गम की आग में मुझ को जला गया चुप-चाप...
गम-ऐ-हयात के तपते हुए बया-बांन में..
हमें वो छोड के चला गया चुप-चाप...
मैं जिसको छुता हुँ वो जख्म देता...
क्यों इतना गमो से वास्ता रखने लगा हू,
खुद से ही क्यों जुदा होने लगा हुँ।
उस अनजान कि खातिर, जान पहचान वालो से,
रकीबो सा रिश्ता रखने लगा हुँ।
इतना जिद्दी तो वो खुदा भी नहीं जिसने बनाया है उसे,
क्यों उसके लिए खुदा से रूठ रहा हुँ।
बहुत दूर है वो समझता है दिल मेरा,...
अगर जो दिल की सुनो तो हार जाओगे..
हम जैसा प्यार फिर कहाँ से पाओगे..
जान देने की बात को हर कोई करता है..
जिन्दगी बनाने वाला कहाँ से लाओगे..
जो इक नज़र देखोगे हमें..
हर तरफ हमको ही पाओगे..
यकीं अपनी चाहत का इतना है मुझे..
मेरी आँखो में झाँकोगे और लौट आओगे..
मेरी यादों के समंदर में जो डूब गऐ तुम..
कहीं जाना भी चाहोगे तो जा नहीं पाओगे..
...
आँखों मे प्यास हुआ करती थी... दिल में तुफान उठा करते थे..।
लोग आते थे गज़ल सुनने को... हम तेरी बात किया करते थे..।
सच समझते थे सब सपनो को.. रात दिन घर में रहा करते थे..।
किसी विराने में तुझसे मिलकर... दिल में क्या फुल खिला करते थे..।
घर की दिवार सजाने की खातिर .. हम तेरा नाम लिखा करते थे..।
कल तुझ को देखकर याद आया... हम भी महोब्बत किया करते थे...।
हम भी महोब्बत किया करते थे...
तेरी रूह में मिल जाऊ ऐसे जैसे नमक हो समंदर में बस तेरा ही प्यार समय रहे हमेशा मेरे अंदर में
मै तुझसे कभी कुछ मांगने की खता न करू तेरे लब हस्ते रहे चाहे मैं दुनिया का मज़ाक ही बनू
तू मुझे छोड़ भी जाये तो गम नहीं मुझको जिस्म से नही मैं तेरी रूह से प्यार करू
मुझे न कभी तेरे आँख में कोई आंसू नज़र आये इसके लिए मैं सारे ज़माने से अकेला ही लड़ूँ
न जाने कौन सा जादू तेरे किरदार में है मैं जब भी जनम लू तो बस तेरा ही बनू
मिला वो भी नही करते मिला हम भी नही करते
दगा वो भी नही करते दगा हम भी नही करते
उन्हे रुसवाई का दुख हमे तन्हाई का डर
गिला वो भी नही करते शिकवा हम भी नही करते
“किसी मोड़ पर मुलाकात हो जाती है अक्सर,”
“रुका वो भी नही करते,
ठहरा हम भी नही करते.”
“जब भी देखते हैं उन्हे,
सोचते है कुछ कहें उनसे.”
“सुना वो भी नही करते,
कहा हम भी नही करते.”
“लेकिन ये भी सच है,
की मोहब्बत उन्हे भी हे हमसे”
“इकरार वो भी नही करते,
इज़हार हम भी नही करते.”
Log kahte h pyar jindgi me ek Barr hota hai
PR mai to jab bhi unhe dekhti hun mujhe unse pyar ho jata hai
Yaadon me humari aap bhi khoye honge
Khuli aankho se kbhi aap bhi soye honge
Mana hasna hain adaa gam chhupane ki
Par haste haste kabhi aap bhi roye honge
Har Khushi Se Khobsorat Teri Sham Kar Don,
Apna Pyar Aur Dosti Tere Naam Kar Don,
Mil Jaye Agar Dubara Yeh Zindagi,
Har Bar May Yeh Zindagi Tere Naam Kar Don !