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Husan Shayari
गिलेसिकवे में उलझ कर रह गयी
गिलेसिकवे में उलझ कर रह गयी
गिले-सिकवे में उलझ कर रह गयी मौहब्बत अपनी
समझ में नही आता मौहब्बत चल रही थी या कोई मुकदमा
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Attitude तो बचपन से हैजब पैदा
ऐ अन्ज़ान उससे कह दो कि
हमारा तो शौक है तलवार रखने
देखेंगे हम आईना उस दिनकि खुद
युँ न आजमाया करो मेरी दोस्तीएवफा
"खूबसूरती से धोका न खाइये जनाबतलवार
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