बड़ी मुद्दत से चाहा है तुम्हें,
बड़ी दुआओं से पाया है तुम्हें,
तुम ने भुलाने का सोचा भी कैसे,
किस्मत की लकीरों से चुराया है तुम्हें..!
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बड़ी मुद्दत से चाहा है तुम्हें,
बड़ी दुआओं से पाया है तुम्हें,
तुम ने भुलाने का सोचा भी कैसे,
किस्मत की लकीरों से चुराया है तुम्हें..!
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