उसकी मुहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब है,
अपना भी नहीं बनाती और किसी का होने भी नहीं देती....!!
उसकी मुहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब है,
अपना भी नहीं बनाती और किसी का होने भी नहीं देती....!!
हमारी कद्र उनको होगी तन्हाईयो में एक दिन,
अभी तो बहुत लोग हैं उनके पास दिल्लगी करने को।।
यूँ खाली पलकें झुका देने से नींद नहीं आती
सोते वही लोग है जिनके पास किसी की याद नहीं होती
गिले-सिकवे में उलझ कर रह गयी मौहब्बत अपनी
समझ में नही आता मौहब्बत चल रही थी या कोई मुकदमा
गिले-सिकवे में उलझ कर रह गयी मौहब्बत अपनी
समझ में नही आता मौहब्बत चल रही थी या कोई मुकदमा
तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने को पढ़ने की
में तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों की तरह
कुछ रोज़ से यारो ये दिल नही लगता चैन नही मिलता
कि दर्द की आदत डालके उसने सितम करना छोड़ दिया
जला के ख्वाबों को देखो हमने जिंदगी आसान कर ली
एक मुट्ठी फिर खाख की चुपके से दामन में भर ली
पगली कहती थी कि वो मेरी रग-रग से वाकिफ है,,,
फिर भी मेरे दिल से निकलने का रास्ता नहीं ढुढ़ पाए...
सब सो गये अपने हाले दिल बयां करके
अफसोस की मेरा कोई नहीं जो मुझसे कहे तुम क्यों जाग रहे हो
सूरत नहीं देखी तेरी अरसे से
बस वो आखिरी बार का मुस्कुरा के मिलना आज भी जीने की वजह है मेरी
कुछ लड़कियाँ तो इस कदर खूबसूरत होती हैं कि
लड़के अपने मन में ही खुद को रिजेक्ट कर लेते है
मेरी मोहब्बत की ना सही, मेरे सलीके की तो दाद दे,
तेरा जिक्र रोज करते हैं तेरा नाम लिए बगैर...!!!
उलझा हुआ हूँ अभी मैं अपनी उलझनों में
तुम ये ना समझना ना कि तुम्हें चाहा था बस दो दिन के लिए
अब सज़ा दे ही चुके हो तो मेरा हाल ना पूछना,
अगर मैं बेगुनाह निकला तो तुम्हे अफ़सोस बहुत होगा