ना वो मिलती है, ना मैं रुकता हूँ;
पता नहीं रास्ता गलत है, या मंजिल!

आज कल अपना लास्ट सीन तक छुपा लेते हे लोग
दिल क्या ख़ाक दिखायेंगे

दामन पर मेरे पैबंद बहुत हैं
मगर खुदा का शुक्र है धब्बा कोई नहीं

फरियाद कर रही है तरसी हुई निगाह
किसी को देखे हुये अरसा हो गया है

तमाम उम्र चले उनके साथ हमसफर बनकर
फिर भी हर मोड़ पर एक फासला रहा

हर रोज हर वक़्त तेरा ही ख्याल
ना जाने किस कर्ज की क़िस्त हो तुम।

कुछ लोग आए थे मेरा दुख बाँटने,
मैं जब खुश हुआ तो खफा होकर चल दिये...!!!

रोशनी में कमी आ जाए तोह बता देना
दिल आज भी हाज़िर हैं जलने के लिये

मशवरा दे रहे हो इश्क़ का....
जनाब लगता है...
दिल अभी तक सलामत है आपका ....

वो पूछते हैं क्या नाम है मेरा…
मैंने कहा बस अपना कहकर पुकार लो…!

मेरे दिल से खेल तो रहे हो पर
ज़रा संभल के टूटा हुआ है कहीं लग ना जाए

जो तालाबों पर चौकीदारी करते हैँ
वो समन्दरों पर राज नहीं कर सकते

मैंने तुझे शब्दों में महसूस किया है
लोग तो तस्वीर पसंद करते हैं

तुम पढते हो इसलिए लिखता हूँ
वरना कलम से अपनी कुछ ख़ास दोस्ती नहीं

छोटी छोटी बातें दिल में रखने से
बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं