नफ़रत सी हो गई हैँ इस दुनिया से, एक तुम से मोहब्बत करके॥

किन चिरागों की बात करते हो
सब चिरागों तले अँधेरा है

ऐसे जख्मों का क्या करे कोई
जिन्हें मरहम से आग लग जाए

भूख रिश्तों को भी लगती है
प्यार कभी परोस कर तो देखिय

कुछ खास जादू नही है मेरे पास
बस बातें दिल से करता हूँ

जी भर गया है तो बता दो
हमें इनकार पसंद है इंतजार नहीं

कांटे तो नसीब में आने ही थे
फूल जो हमने गुलाब चुना था

मै उन्हे बदला हुआ दिखता हुँ.....
कभी वो खुद को भी तो देखे ......

जलने लगा है जमाना सारा
क्योंकी चलने लगा है नाम हमारा

खुबसुरत यूहीं नहीं हु मैं
तेरे गम़ का निखार है मुझ पर

सुनो नादान सा दिल है मेरा
जिसे हर कोई बुद्धु बनाता है

हमने समंदर पे राझ किया है
ईसि लिए लोग सङको पे महफुज है

रख लेता शहर को अपनी जेब में
अगर तेरी वफा बेवफा ना होती

है कोई वकील इस जहान में
जो हारा हुआ इश्क जीता दे मुझको

ख़ामोशी बहुत कुछ कहती हे
कान लगाकर नहीं दिल लगाकर सुनो