हम तो मौजूद थे रात में उजालों की तरह​;
लोग निकले ही नहीं ​ढूंढने वालों की तरह​;
दिल तो क्या हम रूह में भी उतर जाते​;
उस ने चाहा ही नहीं चाहने वालों की तरह​।

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