अपनी आँखों के समंदर में उत्तर जाने दे; तेरा मुज़रिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे; ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको; सोचता हूँ कहूँ तुझसे मगर जाने दे।
Like (1) Dislike (1)
अपनी आँखों के समंदर में उत्तर जाने दे; तेरा मुज़रिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे; ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको; सोचता हूँ कहूँ तुझसे मगर जाने दे।
Your Comment