इस बार उन से मिल के जुदा हम जो हो गए; उन की सहेलियों के भी आँचल भिगो गए; चौराहों का तो हुस्न बढ़ा शहर के मगर; जो लोग नामवर थे वो पत्थर के हो गए।
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इस बार उन से मिल के जुदा हम जो हो गए; उन की सहेलियों के भी आँचल भिगो गए; चौराहों का तो हुस्न बढ़ा शहर के मगर; जो लोग नामवर थे वो पत्थर के हो गए।
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