किया इश्क़ ने मेरा हाल कुछ ऐसा; ना अपनी खबर ना ही दिल का पता है; कसूरवार थी मेरी ये दौर-ए-जवानी; मैं समझता रहा सनम की खता है।
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किया इश्क़ ने मेरा हाल कुछ ऐसा; ना अपनी खबर ना ही दिल का पता है; कसूरवार थी मेरी ये दौर-ए-जवानी; मैं समझता रहा सनम की खता है।
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