कैसे बयान करें आलम दिल की बेबसी का; वो क्या समझे दर्द आंखों की इस नमी का; उनके चाहने वाले इतने हो गए हैं अब कि; उन्हे अब एहसास ही नहीं हमारी कमी का।
Like (1) Dislike (0)
कैसे बयान करें आलम दिल की बेबसी का; वो क्या समझे दर्द आंखों की इस नमी का; उनके चाहने वाले इतने हो गए हैं अब कि; उन्हे अब एहसास ही नहीं हमारी कमी का।
Your Comment