टूट जाये ख्वाब तो जुड़ने की आस क्या रखना; पलकों के भीगने का हिसाब क्या रखना; बस इसलिए मुस्कुरा देते हैं हम; कि अपनी उदासी से किसी को उदास क्या रखना।
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टूट जाये ख्वाब तो जुड़ने की आस क्या रखना; पलकों के भीगने का हिसाब क्या रखना; बस इसलिए मुस्कुरा देते हैं हम; कि अपनी उदासी से किसी को उदास क्या रखना।
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