बढ़ी जो हद से तो सारे तिलिस्म तोड़ गयी; वो खुश दिली जो दिलों को दिलों से जोड़ गयी; अब्द की राह पे बे-ख्वाब धड़कनों की धमक; जो सो गए उन्हें बुझते जगो में छोड़ गयी।
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बढ़ी जो हद से तो सारे तिलिस्म तोड़ गयी; वो खुश दिली जो दिलों को दिलों से जोड़ गयी; अब्द की राह पे बे-ख्वाब धड़कनों की धमक; जो सो गए उन्हें बुझते जगो में छोड़ गयी।
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