मोहब्बत करने वालों का यही हश्र होता है; दर्द-ए-दिल होता है दर्द-ए-जिगर होता है; बंद होंठ कुछ ना कुछ गुनगुनाते ही रहते हैं; खामोश निगाहों का भी गहरा असर होता है।
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मोहब्बत करने वालों का यही हश्र होता है; दर्द-ए-दिल होता है दर्द-ए-जिगर होता है; बंद होंठ कुछ ना कुछ गुनगुनाते ही रहते हैं; खामोश निगाहों का भी गहरा असर होता है।
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