रात क्या ढली कि सितारे चले गये
गैरों से क्या कहें हम जब अपने ही चले गये
जीत तो सकते थे हम भी इश्क की बाज़ी
पर तुम्हे जितने के लिए हम हारते चले गये
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रात क्या ढली कि सितारे चले गये
गैरों से क्या कहें हम जब अपने ही चले गये
जीत तो सकते थे हम भी इश्क की बाज़ी
पर तुम्हे जितने के लिए हम हारते चले गये
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