वो अपने आप को गली की बसन्ती होने का गरूर करती है
नादान ये नहीँ जानती कि हम उसी शहर के गब्बर है उठा ले जायगे
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वो अपने आप को गली की बसन्ती होने का गरूर करती है
नादान ये नहीँ जानती कि हम उसी शहर के गब्बर है उठा ले जायगे
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