हर सितम सह कर कितने गम छिपाए हमने; तेरी ख़ातिर हर दिन आँसू बहाए हमने; तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला; बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने।
Like (0) Dislike (0)
हर सितम सह कर कितने गम छिपाए हमने; तेरी ख़ातिर हर दिन आँसू बहाए हमने; तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला; बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने।
Your Comment