हर सितम सह कर कितने ग़म छिपाये हमने; तेरी खातिर हर दिन आँसू बहाये हमने; तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला; बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने।
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हर सितम सह कर कितने ग़म छिपाये हमने; तेरी खातिर हर दिन आँसू बहाये हमने; तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला; बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने।
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