वौ नीन्द सबसै मीठी कहलाती है
जब मां मैरै बाल सहलाती है

हफ्ते भर की थकान मिटाने वाला ये रविवार
मेरी माँ के लिए नही आता कभी

मांग लूँ यह मन्नत की फिर यही जहाँ मिले
फिर वही गोद फिर वही माँ मिले
Happy mothers day 👪 !

जन्म देती है, पालती है और बोलना सिखाती है जो औरत
ए दोस्त अफ़सोस तेरी गाली में भी उसका नाम होता है
Er kasz

हर पल मे खुशी देती है मा
अपनी ज़िंदगी से जीवन देती है मा
भगवान क्या है मा की पूजा करो जनाब
क्यूकी भगवान को भी जनम देती है मा

आज बेटी नहीं बचाओगे तो कल माँ कहाँ से पाओगे

पलकों में पली साँसों में बसी माँ की आस है बेटी
हर पल मुस्काती गाती एक सुखद अहसास है बेटी
गहन अंधेरी रातों में जैसे भोर की उजली किरन है बेटी
सूने आँगन में खिली मासूम कली की सी मुस्कान है बेटी
मान अभिमान है बेटी दोनों कुलों की लाज है बेटी
दुख दर्द अंदर ही सहती एक खामोश आवाज़ है बेटी
तपित धरती पर सघन छाया सी शीतल हवा है बेटी
लक्ष्मी दुर्गा सरस्वती सी बुजुर्गो की पावनदुआ है बेटी
करते विदा जब डोली में तब पराई हो जाती है बेटी
उदास मन सूना आँगन फिर बहुत याद आती है बेटी

कोए फर्क नहीं पड़ता के थम जिम में कितने
Weight के सेट मारो सो ,
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माँ नै जब भी मिलोगे तो न्यू ए कहगी
"कितणा माड़ा होग्या"

बचपन में माँ कहती है तुझे कुछ समझ नहीं आता
जवानी में बीवी कहती है आपको कुछ समझ नहीं आता
बुढ़ापे में बच्चे कहते है आपकोकुछ समझ नहीं आता
पुरुषों की समझने की उम्र कौन सी ये समज नहीं आता

एक विवाहित बेटी का पत्र उसकी माँ के नाम
माँ तुम बहुत याद आती हो अब मेरी सुबह 6 बजे होती है और रात 12 बज जाती है तब
माँ तुम बहुत याद आती हो सबको गरम गरम परोसती हूँ और खुद ठंढा ही खा लेती हूँ तब
माँ तुम बहुत याद आती हो जब कोई बीमार पड़ता है तो एक पैर पर उसकी सेवा में लग जाती हूँ और जब मैं बीमार पड़ती हूँ तो खुद ही अपनी सेवा कर लेती हूँ तब
माँ तुम बहुत याद आती हो जब रात में सब सोते हैं बच्चों और पति को चादर ओढ़ाना नहीं भूलती और खुद को कोई चादर ओढाने वाला नहीं तब

माँ तुम बहुत याद आती हो सबकी जरुरत पूरी करते करते खुद को भूल जाती हूँ खुद से मिलने वाला कोई नहीं तब
माँ तुम बहुत याद आती हो यही कहानी हर लड़की की शायद शादी के बाद हो जाती है कहने को तो हर आदमी शादी से पहले कहता है माँ की याद तुम्हें आने न दूँगा पर फिर भी क्यों?
माँ तुम बहुत याद आती हो