छोड़िये हमारी परवाह न कीजिये
गलतियों पर हमारी वाह-वाह न कीजिये
जो करना है हमेशा दिल खोल कर करो
बस गलती से भी कोई गुन्हा न कीजिये
इतनी भी अब हमें वफ़ादारी न दिखाओ
सर्द रातों में हमारी यु हवा न कीजिये
दोस्ती में किसी का दिल न दुखाना
हो सके तो किसी के साथ दगा न कीजिये
मुहब्बत में खुद को बर्बाद न

रास्ते बदल जाते हैं, मंजिलें बदल जाती हैं
क्यों नहीं बदलते दिल जो तकदीरें बदल जाती हैं,
दिल वही रहता है, यादों की अनगिनत परछाईयाँ ले,
आँखों की नमी छुपाकर, नजरें बदल जाती हैं,
रुह रहती है हर लम्हां अश्कबार, लब हँसते हैं,
बाहर और अंदर की किस तरह फिज़ाऐं बदल जाती हैं,
कोई होता है रफ्ता-रफ्ता जिन्दगी से दूर