मेरी जिंदगी का खेल शतरंज से भी मज़ेदार निकला
मैं हारा भी तो अपनी हीं रानी से
मेरी जिंदगी का खेल शतरंज से भी मज़ेदार निकला
मैं हारा भी तो अपनी हीं रानी से
जलते घर को देखने वालों फूस का छप्पर आपका है; आपके पीछे तेज़ हवा है आगे मुकद्दर आपका है; उस के क़त्ल पे मैं भी चुप था मेरा नम्बर अब आया; मेरे क़त्ल पे आप भी चुप है अगला नंबर आपका है।
पता नही कब जायेगी तेरी लापरवाही की आदत.
पागल कुछ तो सम्भाल कर रखती मुझे भी खो दिया.
तु होगी चाँद का टुकडा ,
पर मे भी मेरे पापा का जीगर का टुकडा हु..
किसके लिए तूने यह जन्नत बनाई ऐ खुदा; कौन है यहाँ जो तेरा गुनहगार नहीं!
लिख दूं किताबें तेरी मासूमियत पर फिर डर लगता है
कहीं हर कोई तुझे पाने का तलबगार ना हो जाये
कितना और दर्द देगा बस इतना बता दे
ऐसा कर मालिक अब मेरी हस्ती मिटा दे,
यूँ घुट घुट के जीना मौत से बद्तर है,
कभी ना खुले आँखे तू ऐसी नींद सुला दे...
न तेरी शान कम होती न रुतबा ही घटा होता; जो गुस्से मेँ कहा तुमने वही हंस के कहा होता।
मत पूछो मेरे दिल का हाल आपके दिल भी बिखर जाएँगे
इस लिए नही सुनाते अपने दिल का दर्द किसी को ये सुनके तो तन्हाई के भी आँसू निकले
यहाँ सब कुछ बिकता है दोस्तों रहना जरा संभाल के; बेचने वाले हवा भी बेच देते हैं गुब्बारों में भर के; सच बिकता है झूट बिकता है बिकती है हर कहानी; तीन लोक में फैला है फिर भी बिकता है बोतल में पानी।
ना खंजर उठेगा ना तलवार इनसे;यह बाजू मेरे आज़माए हुए है।
मुझे ढूंढने की कोशिश अब न किया कर
तूने रास्ता बदला तो मैंने मंज़िल बदल ली...!
चलो अब जाने भी दो क्या करोगे दास्तां सुनकर
ख़ामोशी तुम समझोगे नही और बयाँ हमसे होगा नही
तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने
जरा हम भी तो देखे कौन चाहता है तुम्हे हमारी तरह