कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्क़िल है
कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्क़िल है
यहाँ परियों का मजमा है वहाँ हूरों की महफ़िल है
इलाही कैसी-कैसी सूरतें तूने बनाई हैं
हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल है

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