सुनो नादान सा दिल है मेरा
जिसे हर कोई बुद्धु बनाता है
सुनो नादान सा दिल है मेरा
जिसे हर कोई बुद्धु बनाता है
फितरत किसी की यूँ न आजमाया कर
हर शख्स अपनी हद में लाजवाब होता हैं
मेरे attitude पर मत जाना तुम्हारे समझ नही आएगा
दिल से मत समझना वरना दिल ही निकाल जायेगा
दिलो से खेलना हमें भी आता है
मगर जिस खेल में दोस्तों का दिल टूट जाए
वो खेल हमें पसंद नहीं
सूनो मेरे किस्से में तुम आते हो
मेरे हिस्से में क्यूँ नहीं आते
उसने पूछा की क्या पसंद है तुम्हे
और मैं बहुत देर तक उसे देखता रहा
हजार गम मेरी फितरत नही बदल सकते
क्या करू मुझे आदत हे मुस्कुराने की
सिलवटें ही सिलवटें थी बिस्तर पर सुबह
यादों की करवटें ही करवटें थी रात भर
हमारे Facebook की बात मतकर पगली
हमारे Online होने का इंतजार नौ मुल्को की लङकियाँ करती है
पुरानी होकर भी खास होती जा रही है
मोहब्बत बेशरम है बेहिसाब होती जा रही है
er kasz
सुना है आजकल तेरी मुस्कराहट गायब हो गई है
तेरी इजाजत हो तो फिर से तेरे करीब आऊँ
है कोई मुझे मेरे ख्वाब की, ताबीर बताने वाला
मैने देखा है खुद की लाश पेँ खुद को रोते हुए
तुमने कहाँ हम याद नहीं आएँगे तुम्हें फिर
बताना ज़रा ये सुबह-सुबह हमारा ज़िक्र क्युँ बोलो
दिन हुआ है तो रात भी होगी हो मत उदास कभी बात भी होगी
इतने प्यार से दोस्ती की है जिन्दगी रही तो मुलाकात भी होगी
चलो आज करते हैं शेर ओ शायरी का मुक़ाबला
तुम ले आओ मीर ग़ालिब फ़राज़ की किताबें मैं सिर्फ अपने महबूब की तारीफ करूँगा