उसकी आदत पड़ गई है मुझे जो छुड़ाए नही छुटती; खुद धुंधला पड़ गया हूँ मैं उसे याद करते-करते; अब उसे न सोचू तो जिस्म टूटने सा लगता है; एक वक़्त गुजरा है उसके नाम का नशा करते-करते।

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