जाने उस शक्स को कैसा ये हुनर आता है; रात होती है तो आँख में उतर आता है; मैं उसके ख्याल से निकलूं तो कहाँ जाऊं; वो मेरी सोच के हर रास्ते पर नज़र आता है!
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जाने उस शक्स को कैसा ये हुनर आता है; रात होती है तो आँख में उतर आता है; मैं उसके ख्याल से निकलूं तो कहाँ जाऊं; वो मेरी सोच के हर रास्ते पर नज़र आता है!
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