मेरी गुफ्तुगू के हर अंदाज़ को समझता है; एक वही है जो मुझ पे एतमाद रखता है; दूर होकर भी मुझसे वो है इतना क़रीब; ऐसा लगता है मेरे आस-पास रहता है।
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मेरी गुफ्तुगू के हर अंदाज़ को समझता है; एक वही है जो मुझ पे एतमाद रखता है; दूर होकर भी मुझसे वो है इतना क़रीब; ऐसा लगता है मेरे आस-पास रहता है।
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