वो रूठे इस कदर की मनाया ना गया; दूर इतने हो गए कि पास बुलाया ना गया; दिल तो दिल था कोई समंदर का साहिल नहीं; लिख दिया था जो नाम वो फिर मिटाया ना गया!
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वो रूठे इस कदर की मनाया ना गया; दूर इतने हो गए कि पास बुलाया ना गया; दिल तो दिल था कोई समंदर का साहिल नहीं; लिख दिया था जो नाम वो फिर मिटाया ना गया!
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