हर एक मजार पर उदासी छाई है; चाँद की रौशनी में भी कमी आई है; अकेले अच्छे थे हम अपने आशियाने में; जाने क्यों टूटकर आज फिर आपकी याद आई है।
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हर एक मजार पर उदासी छाई है; चाँद की रौशनी में भी कमी आई है; अकेले अच्छे थे हम अपने आशियाने में; जाने क्यों टूटकर आज फिर आपकी याद आई है।
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