ज़िक्र अक्सर तेरा ही आता हैं हर अफ़साने में; तुझे जान से ज्यादा चाहा हमने ज़माने में; तन्हाई में तेरा ही सहारा मिला; नाकाम रहे तुझे अक्सर हम भुलाने में।
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ज़िक्र अक्सर तेरा ही आता हैं हर अफ़साने में; तुझे जान से ज्यादा चाहा हमने ज़माने में; तन्हाई में तेरा ही सहारा मिला; नाकाम रहे तुझे अक्सर हम भुलाने में।
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