कब्र के सन्नाटे में से एक आवाज़ आयी; किसी ने फूल रख के आंसूं की दो बूंद बहायी; जब तक था जिंदा तब तक ठोकर खायी; अब सो रहा हूं तो उसको मेरी याद आयी।
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कब्र के सन्नाटे में से एक आवाज़ आयी; किसी ने फूल रख के आंसूं की दो बूंद बहायी; जब तक था जिंदा तब तक ठोकर खायी; अब सो रहा हूं तो उसको मेरी याद आयी।
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